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श्री. तुषार चौधरी
अमरावती, महाराष्ट्र.
 
फसल का प्रकार : संतरा
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श्री तुषार श्रीराम चौधरी पिछले 20 वर्षों से सक्रीय रूप से खेती कर रहे हैं। वहीं पिछले 10 वर्षों से वे नागपुर नारंगी की खेती कर रहे हैं। उनके पास उनकी 6 एकड़ ज़मीन में नारंगी के करीब 650 पेड़ हैं। वह हर साल प्रति एकड़ करीब 65,000 रुपये खर्च करते हैं। फलों के गिरने और कलियों के जलने के रोग से उन्हें काफी खर्च करना पड़ता था। साथ ही, लम्बे समय तक जैविक खाद उपलब्ध नहीं होने से उन्हें रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करना शुरू करना पड़ा। इसलिए, लागत और बढ़ गई।
श्री चौधरी ने पिछले सीजन से बायोफिट प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करना शुरू किया। शुरुआत में फ्लोवरिंग स्टेज में और जब कलियाँ बढ़ीं उन्होंने बायोफिट स्टिमरिच और बायो-99 का 2 बार छिड़काव किया। इससे उन्हें फलों का गिरना कम करने में मदद मिली। आखिर तक ज़्यादातर फूल फलों में परिवर्तित हुए। इसके बाद उन्होंने 4 बार ड्रिप इरीगेशन के ज़रिये बायोफिट NPK और बायोफिट SHET का इस्तेमाल किया। इससे उनकी जैविक ख़ास और रासायनिक उर्वरक दोनों पर ही निर्भरता कम हो गई। इससे वास्तव में उन्हें खेती पर होने वाले खर्च को नियंत्रित करने में मदद मिली।
बायोफिट प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल के पहले और बाद में-
पहले की नारंगी की फसल:
  • प्रति एकड़ लागत: रु. 65,000
  • औसत पैदावार: 8 टन प्रति एकड़
  • बिक्री दर: रु. 3000 प्रति क्विंटल
  • कुल उत्पादन: रु. 2,40,000
  • प्रति एकड़ शुद्ध लाभ: रु. 1,75,000
बायोफिट के साथ नारंगी की फसल:
  • प्रति एकड़ लागत: रु. 70,000
  • औसत पैदावार: 11 क्विंटल
  • बिक्री दर: रु. 4,100 प्रति क्विंटल
  • कुल उत्पादन: रु. 4,51,000
  • प्रति एकड़ शुद्ध लाभ: रु. 3,81,000
उन्होंने पेड़ों पर अलग-अलग दिनों में बायोफिट व्रैप-अप और बायोफिट इन्टैक्ट का छिड़काव किया। इससे उन्हें फलों और पेड़ों पर चूसने वाले कीटों के साथ ही सफ़ेद फफूंद को रोकने में मदद मिली। वह पिछले साल की तुलना में ज़्यादा फल पा सकें। यही नहीं फलों की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ जिससे बाज़ार में बेहतर बिक्री मूल्य प्राप्त हुआ।

उन्होंने प्रति पेड़ लगभग 900 से 1000 फल प्राप्त किए, जो कि 10 से 11 टन प्रति एकड़ कुल फसल के बराबर थे।