इसलिए, नवम्बर 2019 में उन्होंने अपनी 1.5 एकड़ भूमि में केले (G-9 टाइप) के 1800 पौधों की खेती शुरू की। उन्होंने 25 दिनों में एक बार प्रति एकड़ भूमि पर 1 लीटर की मात्रा के साथ बायोफिट N, P और K के साथ ही बायोफिट SHET का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। इससे उन्हें अपने खर्चे कम करने में मदद मिली और मिट्टी में जैविक तत्वों में भी सुधार हुआ। श्री अमोल ने अपने केले के पौधों पर फफूंदी और उससे संबंधित बीमारियों से उन्हें बचाने के लिए महीने में एक बार बायोफिट व्रैप अप का छिड़काव भी शुरू कर दिया। उन्होंने पौधों के विकास के चरणों के दौरान 15 से 20 दिनों के अंतराल के साथ 4 बार बायोफिट स्टिमरिच, बायो-99 और SHET का इस्तेमाल किया। साथ ही पौधे परजीवियों को आकर्षित ना करें यह सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने बायोफिट INTACT का भी उपयोग किया।
हालाँकि, केले की खेती की पूरी अवधि के दौरान, दुर्भाग्य से उनके 200 पेड़ चक्रवाती बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हो गए। लेकिन बचे हुए पेड़ों में हर एक से फलों के लगभग 14 से 16 गुच्छे मिले। उनके द्वारा प्राप्त किए गए केले के प्रत्येक गुच्छे का वज़न औसतन लगभग 40 से 45 किलोग्राम था। उनकी फसल का चक्र अक्टूबर 2020 तक समाप्त हो गया था। संक्षेप में, उन्होंने 1.5 एकड़ भूमि से कुल 49 टन फलों का उत्पादन किया। इससे उन्हें केले की तत्कालीन बाज़ार दर के अनुसार कुल रु. 4,21,000/- की कमाई करने में मदद मिली।